
विकास हो लेकिन किसान के हित प्रभावित न हो- भारतीय किसान संघ
सभी नागरिकों को स्वास्थ्यवर्धक, पोषणयुक्त और जहरमुक्त खाद्य प्राप्त हो- किसान संघ
भोपाल(राहुल अग्रवाल)–28/7/25
नागपुर के रेशिमबाग स्थित स्मृति मंदिर परिसर स्थित महर्षि व्यास सभागार में भारतीय किसान संघ की दो दिवसीय अखिल भारतीय प्रबंध समिति की बैठक संपन्न हुई। बैठक के संबंध में जानकारी देते हुये अखिल भारतीय महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र ने बताया कि देश भर के 37 प्रांतों से आये किसान संघ के पदाधिकारियों के साथ संगठनात्मक, आंदोलनात्मक व रचनात्मक एवं संघ शताब्दी वर्ष के निमित्त आये विषयों पर चर्चा कर संगठन के विस्तार की कार्ययोजना पर चर्चा की गई। इसके साथ ही 2047 तक भारत को विकसित राष्ट बनाने में *‘‘स्वस्थ भारत, पोषक भारत‘‘* के लिये *”गौ-कृषि वाणिज्यम्‘‘* को आधार बनाकर अखिल भारतीय प्रबंध समिति बैठक में देश के आम जनमानस को स्वास्थ्यवर्धक, पोषणयुक्त और जहरमुक्त खाद्य उपलब्ध हो तथा देश के विकास की प्रक्रिया में कृषि व किसान हित प्रभावित न हो इस दृष्टि से भूमि अधिग्रहण कानून किसान हितैषी बने। इन दो विषयों पर चर्चा उपरांत प्रस्ताव पास कर सरकार को सुझाव भेजे हैं। मध्यभारत प्रांत प्रांत से क्षेत्र संगठन मंत्री महेश चौधरी, प्रांत संगठन मंत्री मनीष शर्मा, प्रांत अध्यक्ष सर्वज्ञ दीवान, प्रांत महामंत्री शिवनंदन रघुवंशी आदि शामिल हुए।
खाद्यान्न के जहरयुक्त होने पर कार्यकारिणी ने की चिंता व्यक्त
किसान संघ की प्रबंध समिति बैठक में दो दिन तक चले मंथन के बाद घातक कीटनाशक, खरपतवारनाशक, जैव उत्तेजक और हॉर्मोन उत्पादों के कारण हमारे अधिकांश खाद्यान्न जहरयुक्त होने पर गंभीर चिंता व्यक्त की। महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र ने बताया कि हमारे प्रमुख खाद्यान्नों में पिछले 50 वर्षो में 45 प्रतिशत तक पोषण मूल्य की गिरावट दर्ज हुई है। साथ ही कृषि लागत एवं मूल्य आयोग के अनुसार किसानों की कृषि उत्पादन लागत आय के अनुपात में तेजी से बढ़ रही है। जिसके लिये वर्तमान में प्रचलित बाजार आदान आधारित कृषि पद्वति जिम्मेदार है।
किसानों की सर्वे रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य
प्रबंध समिति में भूमि अधिग्रहण कानून के कारण प्रभावित देश भर के किसानों की आई सर्वे रिपोर्ट ने चौंका के रख दिया है। रिपोर्ट में है कि सरकारों ने किसानों की जमीन अधिग्रहित की लेकिन मुआवजा तक नहीं दिया। जहां दिया वो भी इतना कम कि किसान भूमिहीन होकर मजदूर बन गया। जमीन के बदले नौकरी देने के वादे भी पूरे नहीं किए। कुछ जगहों पर भूमि के बदले विकसित प्लाट देने की बात कही। लेकिन पूरी नहीं की।
मध्यप्रदेश के लैंड पुलिंग एक्ट का भी प्रस्ताव में जिक्र
मध्यप्रदेश में अभी हाल में म.प्र. नगर तथा ग्राम निवेश (संशोधन) विधेयक 2025 में धारा 66 (क) जोड़ी गई है। जिसमें विकसित प्लाट की कोई परिभाषा नहीं है, कितनी भूमि देय होगी, किस जगह की भूमि देय होगी यह भी तय नहीं है, कब दी जायेगी इसकी अवधि कितनी होगी यह तय नहीं है। किसान यदि मुआवजा चाहे तो ऐसा विकल्प भी नहीं है। विकसित प्लाट आवंटन में किसान की प्राथमिकता तय नही है। सर्वे में यह भी पाया गया कि जहां भी कृषि भूमि अधिग्रहित की गई है, वहां किसान एवं अन्य ग्रामवासी प्रभावित हुए। उनके जीवन यापन की कोई व्यवस्था नही है। जैसे – मध्य प्रदेश के महेश्वर बांध परियोजना जो वर्ष 1993 में शुरू हुई जिसमें डूब क्षेत्र में 61 गांव के 10 हजार परिवारों का अभी तक पुनर्वास नहीं हुआ।
किसान हितैषी कानून बनाने केन्द्र व राज्य सरकार को भेजे गये सुझाव
किसान हितैषी कानून बनाने किसान संघ ने प्रबंध समिति में प्रस्ताव पास कर केंद्र व राज्य सरकार को 12 भी बिंदुओं पर भेजे सुझाव में कहा गया कि कृषि भूमि का अधिग्रहण करने के पहले देश में उपलब्ध ‘ऊसर’ भूमि का सर्वे हो। अधिग्रहित भूमि का मुआवजा बाजार भाव से न्यूनतम 4 गुना हो, मुआवजा राशि टैक्सों से मुक्त हो, मुआवजा राशि के निवेश पर रजिस्ट्री स्टाम्प आदि ड्यूटी से मुक्त हो। नौकरी, विकसित प्लाट या भूमि देने के आश्वासन का पूर्ण पालन हो। सड़क, रेल लाइन आदि के कारण भूमि की ऊँचाई बढ़ने पर प्रति 2 कि.मी. पर नीचे से ‘बाईपास’ बनाये जाये, समय सीमा में परियोजना पूर्ण न होने पर जमीन उसी किसान को या उसके वंशजों को लौटा दी जाये जैसे अन्य सुझाव शामिल हैं।