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मुख्यमंत्री कार्यालय में कर्तव्य पथ पर अपर मुख्य सचिव नीरज मंडलोई

मुख्यमंत्री कार्यालय में कर्तव्य पथ पर अपर मुख्य सचिव नीरज मंडलोई

भोपाल (राहुल अग्रवाल)–15/9/25

लंबे समय से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की गुड बुक में रहे नीरज मंडलोंई ने मुख्यमंत्री कार्यालय में आते ही सबको चौंकाया , उन्होंने पदभार तो ग्रहण किया लेकिन बैठने से परहेज किया।

जब उनसे पहली बार मुलाकात उनके कक्ष में हुई तब कार्यालय का बदला – बदला नजारा देखने में आया। पहली नजर में बात समझ में आ गई कि उन्होंने वास्तु दोष दूर करने के लिए वास्तु विशेषज्ञों की सलाह और सुझाव पर कक्ष में आवश्यक बदलाव कराए हैं क्योंकि उनके पहले इसी कक्ष में कार्यालय का सेटअप कुछ और ही था । कक्ष में कुर्सी की दिशा प्रकाश व्यवस्था और प्रवेश द्वार की स्थिति आदि को वास्तु के अनुरूप कराया गया। जब किसी ने उनसे पूछा कि यह सब क्यों … ? तो उनका उत्तर सीधा था ” काम में प्रवाह चाहिए, रुकावट नहीं ” ।

मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारियों के साथ हुई पहली बैठक में ही उन्होंने दो टूक कह दिया था कि आम जनता और जनप्रतिनिधियों के भरोसे को मजबूत करने की दिशा में काम होना चाहिए । उनकी टीम के सदस्यों की एकमात्र कोशिश यही होनी चाहिए कि मुख्यमंत्री सचिवालय की साख जनअपेक्षाओं के अनुरूप बढ़नी चाहिए । सरकार के प्रति भरोसा और विश्वास मील का पत्थर बनें, इस दिशा में काम होना चाहिए l उनके काम करने के अपने अलग पैरामीटर हैं । वह काम में हीला – हवाली, लापरवाही और किसी भी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नहीं करते । उनका नजरिया बिल्कुल स्पष्ट है कि सरकार के फैसलों का असर जनता में सकारात्मक होना चाहिए । उनकी कार्यशैली से ऐसा लगता है कि उनकी नज़र में मुख्यमंत्री कार्यालय फाइलों का अड्डा नहीं बल्कि भरोसे की चौकी है । जो विधिसंगत है, होने लायक है, जो हो सकता है, वो हो सकता है और जो नहीं हो सकता, वो नहीं हो सकता ।

उनके शब्दकोश में अटकाना ,लटकाना जैसे शब्द हैं ही नहीं । सामान्यतः ऐसा माना जाता है कि आईएएस अफसरों को पद प्रतिष्ठा मिलने के बाद, उनमें अफसर शाही हावी हो जाती है लेकिन इनसे इतर कुछ अफसर, पद और प्रतिष्ठा मिलने के बाद भी निरंतर दिन-रात जनता की सेवा करते रहते हैं। जिनकी स्वयं की अपनी एक अलग छवि होती है ,जिन पर लोगों का अटूट विश्वास होता है । ऐसे ही एक अफसर हैं नीरज मंडलोई और हो भी क्यों ना, उन्हें प्रशासनिक अनुभव जो विरासत में मिला है । उनका स्वभाव बेहद नरम और जनता की सेवा करने वाला है । बहुत कम लोग ही जानते होंगे कि तीन पीढि़यों से उनका परिवार मंत्रालय में बैठकर आम जनता की सेवा कर रहा है । मूलतः खंडवा के रहने वाले आईएएस अफसर नीरज मंडलोई के पिता स्वर्गीय विनोद कुमार मंडलोई 1974 बैच के आईएएस अफसर रहे हैं और स्वर्गीय विनोद कुमार मंडलोई के पिता यानि नीरज मंडलोई के दादाजी भगवंत राव कुमार मंडलोई दो बार अविभाजित मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं । वे वल्लभ भवन, मंत्रालय में पदस्थ ऐसे अफसर हैं जो तीन पीढियां से निरंतर जनता की सेवा कर रहे हैं । यह सेवा परंपरा अब उनके हाथों में है और वह उसे नए सिरे से गढ़ रहे हैं । विरासत में मिला प्रशासनिक अनुभव उनकी कार्य शैली में भी झलकता है। मुख्यमंत्री कार्यालय में उनके आते ही काफी कुछ बदलाव भी नजर आ रहे हैं। वे मुख्यमंत्री कार्यालय में आने वाली प्रदेश की जनता और प्रदेश के जनप्रतिनिधियों से बड़ी सहजता से मिलते हैं और उन्हें आश्वासन देते हैं कि उनका काम जरूर होगा । साथ ही साथ उनकी टीम भी इसी जज्बे के साथ काम कर रही है । जनप्रतिनिधि हों, अफसर हों या फिर आमजन उनका सबके साथ कार्य व्यवहार सम्मानजनक है , उनसे मिलने वाले एक सुर में यही कहते हैं कि साहब डाऊन टू अर्थ हैं,बात साफ और भरोसा पक्का है, उनसे मिलना बहुत आसान है और जहां तक कार्य प्रणाली में बदलाव की बात की जाए तो निसंदेह नीरज मंडलोई के मुख्यमंत्री कार्यालय में आने के बाद से यहां के अफसरों का काम करने का ढंग भी कुछ बदला-बदला सा नजर आ रहा है । अपर मुख्य सचिव नीरज मंडलोई अपनी कार्यशैली से यही संदेश दे रहे हैं कि अधिकार पद से नहीं, दृष्टि से पहचाना जाता है और दृष्टि वही टिकाऊ है जिसमें जनता के लिए सेवा और व्यवस्था में पारदर्शिता हो l

तेजेंद्र भार्गव(वरिष्ठ पत्रकार)भोपाल

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