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जल जीवन मिशन के हजारों करोड के सुनियोजित भ्रष्टाचार की सीबीआई जाँच हो-कटारे

जल जीवन मिशन के हजारों करोड के सुनियोजित भ्रष्टाचार की सीबीआई जाँच हो-कटारे

भोपाल(राहुल अग्रवाल)–26/7/25

भारत सरकार की प्रदेश के गांवों में “हर-घर जल” पहुँचाने की महत्वाकांक्षी योजना “जल जीवन मिशन” (JJM) राजनेता, प्रशासनिक एवं विभागीय अधिकारियों द्वारा किये गये 10,000 करोड रूपये के सुनियोजित भ्रष्टाचार व लापरवाही के खेल के कारण योजना अब “जल्दी-जल्दी-मनी” मिशन बनकर रह गयी है। केन्द्र सरकार द्वारा प्रदेश को जल जीवन मिशन में सभी गांवों में जल पहुँचाने के पावन उद्देश्य हेतु कुल रू. 30 हजार करोड का आवंटन दिया था। प्रदेश के PHE विभाग को कभी इतनी बडी धनराशि नहीं मिली थी, इस कारण पूरा विभाग जिसमें मंत्री, प्रमुख सचिव, प्रमुख अभियंता सहित समस्त अधिकारी लूट हेतु टूट पडे और उन्होंने भ्रष्टाचार की सुनियोजित योजना बनाकर कमीशन और कागजी खानापूर्ति को प्राथमिकता देकर जल्दबाजी और बिना तैयारी के लागू कर स्वयं व चहेते ठेकेदारों की जेबें भर लीं।

योजना बनाने में जल्दबाजी

“मुख्यमंत्री नल जल योजना” पूर्व से ही फैल थी फिर भी “जल्दी-जल्दी-मनी” डकारने के उद्देश्य से उसी मॉडल पर 27,000 ट्यूबवेल आधारित योजनाएं बनाकर कई तकनीकी विकल्पों की अनदेखी की। बेहतर होता कि सतही जल योजना (Surface Water Scheme) बनाई जाती। योजना में केन्द्र व राज्य की 45-45 प्रतिशत भागीदारी व शेष 10 प्रतिशत ग्राम पंचायत के अंश का प्रावधान था किन्तु “जल्दी-जल्दी-मनी” डकारने में यह तथ्य भूल ही गये।

रखरखाव का प्रावधान नहीं

हर छोटी से छोटी योजना में रख-रखाव का प्रवधान रखा जाता किन्तु इसमें यह प्रावधान ही नहीं है।। “जल्दी-जल्दी-मनी” डकारने के चक्कर में अथवा जानबुझकर छोडा गया है।

DPR में फर्जीवाड़ा

प्रमुख अभियंता कार्यालय के नोडल अधिकारी श्री आलोक अग्रबाल द्वारा ई-मेल के माध्यम प्रदेश के सभी जिलों को एक मॉडल DPR का प्रारूप भेजकर निर्देशित किया कि वह इसमें आंकडे फीड कर भेज दें, उसी के अनुरूप क्रियान्वयन हुआ। जबकि वास्तविक DPR बनानीं थी, इस हेतु कंसल्टेन्ट को प्रति DPR रू. 10 हजार की राशि फीस के रूप में भुगतान हुये जिनके द्वारा मात्र गूगल के आंकडों के आधार पर DPR तैयार कर भेजी, जिन्हें बाद में भारी बदलाव (रिवाईज) करना पड़ीं।

पैसे लेकर फण्ड दिया

प्रदेश में जिस अधिकारी के जितना फण्ड चाहिये होता था वह आलोक अग्रबाल व महेन्द्र खरे से बात कर एक प्रतिशत कमीशन राशि पहुँचाने पर ही यह लोग सीधे प्रमुख अभियंता से उसी दिन फण्ड जारी करवा देते थे। जबकि आफिस में SE, CE & Finance Director भी थे जिन्हें वायपास कर योजनाओं हेतु फण्ड जारी किये गये। इस तथ्य की सत्यता के. के. सोनगरिया (मो.नं. 94254-63471) आलोक अग्रवाल (98260-12460), महेन्द्र खरे (94253-00622/79744-83643) के मोबाईल नंबरों की सीडीआर / रिकार्डिंग से सिद्ध होगी कि जिस दिन बात हुई उसी दिन फण्ड जारी हुआ।

प्रमुख अभियंता की नियुक्ति

योजना में भ्रष्टाचार के अहम किरदार के. के. सोनगरिया, जिन्हें पॉच वरिष्ठ व नियमित CE मौजूद होने के बावजूद संविदा पर ENC के रूप में नियुक्ति कर सभी प्रशासनिक व वित्तीय अधिकार सौंपे। इन अधिकारी की सहायता व योग्यता से ही जल जीवन मिशन की धनराशि का बंटरबांट सम्पन्न हुआ।

Silver Ionizer बेकार यंत्र

करोडों की लूट योजना के नोडल अधिकारी मौखिक निर्देश पर योजना में Silver Ionizer यंत्र जोडा जिसकी बाजार में कीमत रु.4000/- है। जिसे आलोक अग्रवाल श्री सोनगरिया के परिजनों की मिलीभगत से रू.70,000 से रू.1.00.000/- में खरीदा गया। जबकि IIT चेन्नई की रिपोर्ट अनुसार इस यंत्र की कोई उपयोगिता नहीं थी।

पुरानी पाईप लाईन नया बिल

मुख्यमंत्री नल जल योजना हेतु पूर्व बिछायीं पुरानी पाईप लाइनों को नये बिल में दिखाकर राशि आहरित की. जिसका खुलासा CIPET की रिपोर्ट से हुआ जिसमें बताया कि ठेकेदारों ने 3rd party टेस्टिंग तो करायी जबकि वास्तव में माल उठाया ही नहीं गया।

Rate Rivision

योजना में नवीन साजिश के तहत पैसा खत्म होने से योजना के ठेकेदारों से एक प्रतिशत राशि लेकर पुराने टेण्डरों को रिवाईज्ड कर सभी जिले के टेण्डरों में वृद्धि की गयी। विभागीय मंत्री के प्रभार जिला सिंगरौली में 265 प्रतिशत, गृह जिला सिवनी में 117. शिवपुरी में 184 सहित 15 से अधिक जिलों में 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई। केन्द्र सरकार ने यह भ्रष्टाचार देखकर पैसा देने से इन्कार करने पर यह बढ़ी हुई 2750 करोड रूपये की राशि को राज्य सरकार को वहन करना पडा।मेन्युअल अनुसार टेण्डर में 10 प्रतिशत से अधिक वृद्धि होने पर नवीन टेण्डर प्रक्रिया अपनाने का प्रावधान है किन्तु अधिकारियों ने सांठगांठ कर पुराने ठेकेदारों को लाभ पहुँचाया गया।इस गंभीर अनियमितता संबंधी प्रकरण में उप यंत्री एवं सहायक यंत्रियों को नोटिस जारी किये जबकि जिन अधिकारी EE, SE,CE & ENC एवं ने तकनीकी स्वीकृतियां दी उन्हें क्लीन चिट दे दी गयी। PWD मेन्युअल अनुसार तकनीकी स्वीकृति जारीकर्ता पूर्ण रूप से जिम्मेदार होता है।

थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन रिपोर्ट

केन्द्र सरकार द्वारा थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन के लिये मे. इप्सोस रिसर्च लि० को नियुक्त किया था। म०प्र० सरकार द्वारा जिन गांवों को पूर्णतः हर-घर-जल घोषित किया था उनकी जॉच इस फर्म द्वारा करने पर वहाँ भारी अनियमितताएं पायी वहाँ न नल मिले न जल, रिपोर्ट संलग्न है। इस संबंध में मेरे विधान सभा प्र.क्र. 1676 (दि. 20 दिसम्बर, 2024) में विभाग ने एक स्थान की प्रस्तुत रिपोर्ट को फर्जी होना बताया था, जिससे सिद्ध है कि अनियमितताएं हुई हैं।

शिकायत जॉच

जल जीवन मिशन योजना में गंभीर अनियमितताएं व साजिश कर हजारों करोड रूपये के भ्रष्टाचार संबंधी प्रकरण की शिकायत उच्च स्तर पर होने पर प्रमुख अभियंता कार्यालय के पत्र दि. 21.06. 2025 द्वारा विभागीय स्तर पर विभागीय मंत्री सहित अधिकारियों की संम्पत्ति, जमीन आदि की जाँच कराकर मात्र खानापूर्ति कर उन्हें क्लीन चिट प्रदान की गई। जबकि लोक स्वास्थ्य यंत्रिकी विभाग को मंत्री व अधिकारी की सम्पत्ति व जमीन की जाँच करने का अधिकार ही नहीं था। यह दिखावा आखिर क्यौं। जॉच में क्या मंत्री व अन्य के प्राप्त किये कथनों व जाँच प्रतिवेदन को सार्वजनिक किया जाये।

अतः लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ प्रेस के माध्यम से मेरी मांग है कि संपूर्ण प्रकरण की न्यायालय की निगरानी में सी.बी.आई जॉच करायी जाये, विभागीय मंत्री श्रीमती संपतिया उइके को तत्काल बर्खास्त किया जाय, प्रकरण के पूरे कर्ताधर्ता श्री के. के. सोनगरिया, आलोक अग्रवाल, महेन्द्र खरे के विरूद्ध अपराध पंजीबद्ध कर जॉच करायी जाये, विभाग के पूर्व एवं वर्तमान प्रमुख सचिव व मंत्री के स्टाफ सहित जितने भी रेट रिवीजन हुये उन योजनाओं की कंसल्टेंन्सी व तकनीकी स्वीकृति जारीकर्ता अधिकारियों के विरूद्ध भी अपराध पंजीबद्ध कर जांच कराएं एवं के. के. सोनगरिया (मो.नं.94254-63471) आलोक अग्रवाल (98260-12460), महेन्द्र खरे (94253-00622/79744-83643) के मोबाईल नंबरों की सीडीआर / रिकार्डिंग निकालकर सूक्ष्म जॉच करायी जावे।

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