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नाबार्ड के आम महोत्सव में आए विभिन्न किस्मों के 20 टन आम,सुंदरजा जी टैग भी उपलब्ध

नूरजहां आम के पेड़ो को बचाने नाबार्ड कर रहा है प्रयास - महाप्रबंधक सी .सरस्वती 

नाबार्ड के आम महोत्सव में आए विभिन्न किस्मों के 20 टन आम,सुंदरजा जी टैग भी उपलब्ध

नूरजहां आम के पेड़ो को बचाने नाबार्ड कर रहा है प्रयास – महाप्रबंधक सी .सरस्वती 

31 आदिवासी जिलों में संचालित हैं बाड़ी परियोजना,किसानों की आजीविका के लिए मार्केटिंग भी उपलब्ध कराया जाता है

भोपाल–12/6/2025, राहुल अग्रवाल–एडिटर इन चीफ

नाबार्ड, मध्य प्रदेश क्षेत्रीय कार्यालय के सहयोग से आदिवासी किसानों द्वारा बाड़ी परियोजना स्थापित की गई। राज्य के आदिवासी परिवारों को आत्मनिर्भर बनाने के तथा नाबार्ड द्वारा समर्थित बाड़ियों से उत्पादित आमों को विपणन हेतु एक मंच प्रदान करने के उद्देश्य से नाबार्ड द्वारा नाबार्ड परिसर में 10 से 14 जून 2025 तक आम महोत्सव 8.0 का आयोजन किया जा रहा है। मुख्य महाप्रबंधक श्रीमती सी सरस्वती ने बताया कि भारत एक बहुसंस्कृति की पालना करने वाला देश है और आम के मौसम को भी किसी त्योहार की तरह मनाया जाता है। इसका एक कारण यह भी है कि हमारे देश में साल भर अलग-अलग मौसमों में अलग-अलग फल सेवन हेतु उपलब्ध रहते हैं। आम ग्राहकों के लिए गुणवत्तापूर्ण स्वादिष्ट फल के साथ ही साथ इसे उगाने वाले किसानों के लिए आय अर्जन का महत्वपूर्ण साधन भी है। नाबार्ड की ये परियोजनाएं आदिवासी परिवारों को आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें मुख्य धारा से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हैं। इस परियोजना के अंतर्गत लाभार्थियों के समग्र विकास का ध्यान रखा जाता है। नाबार्ड की परियोजना में वाडी के साथ ही साथ सब्जियों तथा अन्य फसलों के पौधे भी उपलब्ध करवाए जाते हैं ताकि परियोजना की शुरुआत से ही किसानों की आय में वृद्धि शुरू हो जाए।

इस निधि के तहत, नाबार्ड के द्वारा मध्य प्रदेश में अब तक 102 परियोजनाएं स्वीकृत कर लगभग 73,875 एकड़ में वाडियों की स्थापना की है। इन परियोजनाओं से 78126 से अधिक परिवारों को लाभ पहुंचा है एवं परियोजना के माध्यम से आदिवासी किसान अपने खेतों पर विभिन्न बागवानी, कृषि और कृषि वानिकी गतिविधियों को अपनाकर अपनी पारिवारिक आय बढ़ाने में सक्षम हुए हैं जिससे परियोजना क्षेत्र में रोजगार के लिए होने वाले पलायन को रोकने में मदद मिली है।यह महोत्सव राज्य स्तर के साथ ही साथ जिला स्तर पर भी आयोजित किया जा रहा है जिसमें छिंदवाड़ा और रीवा शामिल हैं। इस अवसर पर सबसे वजनी आम नूरजहाँ भी बिक्री के लिए उपलब्ध हैं ।आप ने पूछने पर बताया कि आम महोत्सव में जीआई टैग प्राप्त सुंदरजा के अतिरिक्त आम्रपाली, केसर, लंगड़ा, दशहरी, तोतापुरी, राजापुरी भी बिक्री के लिए उपलब्ध है ,आम की गाडियाँ बैंकों की विभिन्न कॉलोनियों में भी विजिट भी कर रही हैं।

आम महोत्सव में किसान 20 टन आम विभिन्न किस्मों के लेकर आए है।किसानों को एक एकड़ जमीन पर आम के पौधे ओर सागौन,मूंगा के पौधे भी उपलब्ध कराते हैं साथ ही किसान अपनी आजीविका चलाने के लिए सब्जी भी उगाते है इनको हम मार्केटिंग भी उपलब्ध कराते हैं। नूरजहां आम के बारे में आप ने बताया कि इस के कम पेड़ बचे हैं इसको बचाने के लिए टिशू कल्चर से इस के पौधे बढ़ाने के प्रयास कर रहे है।वर्तमान में 31 आदिवासी जिलों में बाड़ी परियोजना संचालित है।

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